पशुओं में गर्मी के लक्षण
- झुंड में अन्य पशुओं के साथ मिश्रित पशु
- पशु अधिक उत्तेजित हो जाते हैं पर भैंस में कम उत्साह होता है
- भूख कम लगना
- बार-बार रम्भाना
- शरीर के तापमान में तीव्र वृद्धि
- अपारदर्शी और रस्सी की तरह श्लेष्म का योनी से बाहर निकलना I अक्सर श्लेष्म योनी से लटका हुआ दिखाई देता है
- योनिद्वार में सूजन हो जाती है तथा गुलाबी रंग का हो जाता है
- मद में आये पशु का अन्य पशुओं पर चढ़ना
- लगातार पेशाब करना
- अन्य जानवरों को चाटना
- पूँछ को बार बार उठाना और दायें बायें हिलाना
- जब नर पशु या अन्य पशु मद में आये पशु पर चढ़ता है तो गर्मी में आया पशु अपनी जगह पर खड़ा रहता है, यह लक्षण कृत्रिम गर्भाधान का सही समय है
इन बातों का रखें ध्यान
- बेहतर गर्भाधान दर के लिए जानवरों का गर्मी के मध्य में गर्भाधान करायें
- जब श्लेष्म (या तार) पशु के घुटने तक लटका हो तो ये गर्मी का मध्यकाल है
- मध्य गर्मी में श्लेष्म या तारें पशु के पिछले हिस्से पर लगी मिलती हैं
- जब तारें ज़मीन पर गिरने लगें तो ये गर्मी का प्रारंभ है
- प्रारंभिक गर्मी A.I. के लिए सही समय नहीं है, गर्भधारण दर कम होगी
क्या है ए.आई. (A.I.) या कृत्रिम गर्भाधान?
नर पशुओं से वीर्य प्राप्त करके गर्मी में आई मादा पशु के जननांगों में ए.आई. गन द्वारा जमा करने को कृत्रिम गर्भाधान कह जाता है I
कब करायें कृत्रिम गर्भाधान?
- यदि पशु दुसरे जानवरों को अपने ऊपर चढ़ने की अनुमति दे रहा है
- यदि तारें पशु के घुटने तक लटकी हुई मिलें
- यदि गर्मी के संकेत सुबह दिखें तो पशु को शाम को गर्भाधान करायें और यदि गर्मी के संकेत शाम को दिखें तो सुबह गर्भाधान करायें
कृत्रिम गर्भाधान के फायेदे
- पशुपालक को नर पशु पलने की ज़रूरत नहीं पड़ती
- एक अच्छे और परखे हुए नर पशु के वीर्य को दूर देशों और प्रदेशों में पंहुचा कर वहाँ के पशुओं की नसल सुधारी जा सकती है
- प्रजनन सम्बन्धी बिमारियों को रोकने में कारगर
- विकलांग तथा जोड़ों की समस्या से ग्रस्त अच्छे सांड़ों का उपयोग किया जा सकता है
- प्रजनन दर को बढाने में सक्षम
- कम लागत
- संकर नस्लों से दूध उत्पादन में वृद्धि
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